Sunday 8 September 2013



रौशनी मेरी दूर तलक जायेगी ,
 
मगर शर्त ये है .....
 
जलाना मुझे सलीक़े से ..... !!

Wednesday 24 July 2013


हमारी अना को गंवारा ना था , के मुहब्बत माँग कर लेते
और उनमें इतना ज़र्फ़ ना था के बिन-मांगे लौटा देते ..
एक मुददत तक इस दिल की बेक़रारियाँ ना गयीं ,
हर रोज़ तुझे ख़त लिखते .. और हर रोज़ जला देते ..

खुद को तेरी मुहब्बत के क़ाबिल ही ना समझा वरना
टूट के तुझे ऐसा चाहते .. के ख़ुद को भुला देते ..
कभी आज़मा कर देखा होता , के तेरी ख्वाहिशों की ख़ातिर
तेरे क़दमों में बिखर जाते ... तेरी राहोँ को सजा देते ..

मोज़ज़ा देख मेरी मुहब्बत का के तुझे आसमाँ कर दिया
और खुद रह गए तेरी गलियों में , मुहब्बत की सदा देते ..
बिछड़ना ही था तो हिज्र के तक़ाज़े तो निभाये होते
मैं तुम को भुला देता , तुम मुझ को भुला देते .....  !!

Sunday 14 July 2013

अजीब लोग बसते है तेरे शहर में , " मोहसिन " 

मरम्मत कांच की करते है , पत्थर के औजारों से .. !!
छुरी की धार से कटती नहीं चरागों की लौ

जिस्म के मरने से किरदार नहीं मरता .. !!

Thursday 20 June 2013


अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना ..

मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्‍मे जला रखी हैं
ये हसीं शम्‍मे बुझाने के लिए मत आना ..

प्‍यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना ..

अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई
तुम कोई रस्‍म निभाने के लिए मत आना .. !!


Wednesday 19 June 2013





उसको मिल गए ख्वाहिश के मुताबिक़ अमीर
 
मेरे अरमानों की क़ातिल निकली ग़रीबी मेरी .. !!

Sunday 9 June 2013




इसका रोना नहीं क्यों तुमने किया दिल बरबाद

इसका ग़म है कि .. बहुत देर में बरबाद किया .. !!

Saturday 8 June 2013




वो समुन्दर है तो फिर रूह को शादाब करे

तश्नगी क्यों मुझे देता है सराबों की तरह .. !!

मुझको बिखरना था जो ये घेरा नहीं होता
मैं अपना भी न होता जो तेरा नहीं होता ..

लिख दिया अपने दर पे किसी ने, इस जगह प्यार करना मना है
प्यार अगर हो भी जाए किसी को , इसका इज़हार करना मना है ..

उनकी महफ़िल में जब कोई आये, पहले नज़रें वो अपनी झुकाए
वो सनम जो खुदा बन गये हैं , उनका दीदार करना मना है ..

जाग उठ्ठेंगे तो आहें भरेंगे, हुस्न वालों को रुसवा करेंगे
सो गये हैं जो फ़ुर्क़त के मारे , उनको बेदार करना मना है ..

हमने की अर्ज़ ऐ बंदा-परवर, क्यूँ सितम ढा रहे हो यह हम पर
बात सुन कर हमारी वो बोले , हमसे तकरार करना मना है ..

सामने जो खुला है झरोखा, खा न जाना क़तील उसका धोखा
अब भी अपने लिए उस गली में , शौक-ए-दीदार करना मना है .. !!


बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेडे सह नही पाया
हवाऒं के इशारों पर मगर मै बह नही पाया ..

 
रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नही पायी कभी मै कह नही पाया .. !!